WASP-39b in Hindi UPSC पढ़ें ! WASP-39b एक बहिर्ग्रह है जो हमारे सौरमंडल से दूर किसी अन्य सौरमंडल में स्थित है।
जो सौरमंडल के बाहर किसी अन्य तारे की परिक्रमा कर रहा है।
बहिर्ग्रह क्या होते हैं?| Exoplanet kya hota hai
औसतन ऐसा देखा गया है कि हमारी गैलेक्सी में प्रत्येक तारे के लिए एक ग्रह की उपस्थिति होती है। हमारी गैलेक्सी मिल्की वे (Milky Way) में कई लाखों ग्रह है जिनमें से कई ग्रह तो पृथ्वी के आकार से भी बड़े हैं। ऐसे ग्रह जो हमारे सौरमंडल से बाहर किसी अन्य सौरमंडल में अन्य सूर्य की परिक्रमा करते हैं वह बहिर्ग्रह (Exoplanet) कहलाते हैं। WASP-39b in Hindi UPSC एवं अन्य Competitive Exams के लिए महत्वपूर्ण है।
WASP-39b का इतिहास
WASP (Wide Angle Search For Planets) प्रोजेक्ट की शुरुआत 1999 में क्वींस यूनिवर्सिटी (Queen’s University) और सेंट एंड्रयूज यूनिवर्सिटी (St. Andrews University) के सहयोग से हुआ था। वर्तमान में WASP वर्ग के लगभग 150 ग्रह खोजे जा चुके हैं।
WASP-39b गैस से बना हुआ बाह्य ग्रह है जो G आकार के तारे की परिक्रमा करता है। इसका द्रव्यमान बृहस्पति ग्रह के द्रव्यमान का 0.28 प्रतिशत है यह 4.1 दिन में अपने सूर्य का एक चक्कर लगाता है। जुलाई 2022 में यह पहला ऐसा बाह्य ग्रह था जो नासा के जेम्स वेब टेलीस्कोप द्वारा देखा गया।
WASP-39b का आकार
WASP-39b गैस से बना हुआ बाह्य ग्रह है जो G आकार के तारे की परिक्रमा करता है। इसका द्रव्यमान बृहस्पति ग्रह के द्रव्यमान का 0.28 प्रतिशत है यह 4.1 दिन में अपने सूर्य का एक चक्कर लगाता है। जुलाई 2022 में यह पहला ऐसा बाह्य ग्रह था जो नासा के जेम्स वेब टेलीस्कोप द्वारा देखा गया।
James Webb Telescope द्वारा WASP-39b का अध्ययन
- जेम्स वेब टेलीस्कोप को इस ग्रह के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के ठोस सबूत प्राप्त हुए हैं। यह ग्रह अपने से 700 प्रकाश वर्ष दूर स्थित सूर्य की परिक्रमा करता है।
- WASP-39b शनि ग्रह की तरह ही एक विशालकाय गर्म ग्रह है। इस ग्रह पर अधिकतम तापमान 900 डिग्री सेल्सियस रहता है जिस कारण यह अधिक मोटा नजर आता है । इस ग्रह की खोज 2011 में हो चुकी थी।
- जेम्स वेब टेलीस्कोप से पहले नासा के ही हबल और स्प्रिट्जर स्पेस टेलीस्कोप ने इस ग्रह के वातावरण में जलवाष्प, सोडियम और पोटेशियम की उपस्थिति का पता लगाया था।
- वैज्ञानिक इस बात से आश्चर्यचकित है कि WASP-39b पर शनि ग्रह से ज्यादा जल की उपस्थिति थी इसलिए यह ग्रह अवश्य ही भिन्न प्रकार से बना होगा। इस ग्रह पर जल की उपस्थिति से हमें यह पता चलता है कि इस ग्रह का विकास अपने सूरज से काफी दूरी पर अलग से हुआ होगा जहां पर इस ग्रह पर अत्यधिक मात्रा में बर्फीले पदार्थ की बमबारी हुई होगी।
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