संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) एक केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान है जो केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों की नियुक्ति के लिए अपनी अनुशंसाए देता है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) को सबसे प्रसिद्ध प्रतिष्ठित माना जाता है।
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षाएं समय सारणी के अनुसार आयोजित की जाती है इसमें भाग लेने वाले विभिन्न परीक्षार्थी समय सारणी के अनुसार अपनी तैयारी कर सकते हैं।
संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा प्रमुख रूप से 3 चरण होते हैं-
- प्रारंभिक परीक्षा
- मुख्य परीक्षा
- साक्षात्कार
About UPSC
भारत में UPSC एक प्रमुख संस्थान है आइए UPSC के इतिहास के बारे में कुछ चर्चा कर लेते हैं-
भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के समय सिविल सेवकों का नामांकन कंपनी के निर्देशों के अनुसार किया जाता था तथा इसके उपरांत सभी को लंदन के हेलीबरी कॉलेज में प्रशिक्षण दिया जाता था । प्रशिक्षण पूरा करने के उपरांत सभी को भारत भेज दिया जाता था।
Lord Macaulay
भारत में आधुनिक सिविल सेवा की शुरुआत लॉर्ड मैकाले के प्रयासों से हुई लार्ड मैकाले(Lord Macaulay) ने 1854 ईस्वी में ब्रिटिश संसद की प्रवर समिति में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की रिपोर्ट में उन्होंने लिखा था की ईस्ट इंडिया कंपनी की प्रणाली के स्थान पर भारत में प्रतियोगी परीक्षा के द्वारा प्रवेश तथा योग्यता के आधार पर स्थाई सिविल सेवा प्रणाली लागू करनी चाहिए।
लंदन में 1854 ईस्वी में सिविल सेवा आयोग की स्थापना की गई और प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं की शुरुआत 1855 ईस्वी में की गई। प्रारंभ में भारतीय सिविल सेवा के लिए परीक्षाओं का आयोजन केवल लंदन में किया जाता था तथा इसके लिए अधिकतम आयु 23 वर्ष तथा न्यूनतम आयु 18 वर्ष निश्चित की गई थी। सिविल सेवा के पाठ्यक्रम का निर्धारण ऐसे किया जाता था कि उसमें सर्वाधिक अंक यूरोपियन लोगों के ही आए इससे भारतीय उम्मीदवार के लिए यह परीक्षा और अधिक कठिन हो गई।
Satyendranath Tagore
श्री सत्येंद्र नाथ टैगोर जोकि श्री रविंद्र नाथ टैगोर के भाई थे वह पहले भारतीय थे जिन्होंने 1864 ईस्वी में में सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की।
First Civil Service Exam in India
भारत में सर्वप्रथम सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन इलाहाबाद में प्रारंभ हुआ इसके उपरांत दिल्ली में भी इन परीक्षाओं का आयोजन आरंभ हो गया लंदन में हो रही परीक्षाओं का आयोजन भी सिविल सेवा आयोग ही करता था ।
Montague Chelmsford Reform
भारतीयों ने भारत में सिविल सेवा परीक्षा के आयोजन के लिए लगभग 50 वर्षों तक अनुरोध किया परंतु सफलता नहीं मिली क्योंकि ब्रिटेन की सरकार नहीं चाहती थी कि ज्यादा भारतीय सिविल सेवा परीक्षाओं में सफलता हासिल करें। मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधारों के पश्चात इस पर सहमति बनी तथा भारत में सिविल सेवा परीक्षाओं का आयोजन 1922 से होने लगा।
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26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के प्रारंभ के साथ ही संविधान के (Article) अनुच्छेद- 378 के (Section)खंड-1 के आधार पर फेडरल लोक सेवा आयोग संघ लोक सेवा आयोग के रूप में पहचाना जाने लगा।
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