मिशन लाइफ (Mission LiFE- 2022) के अंतर्गत भारत का लक्ष्य 2022 से 2028 के बीच जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कार्यवाही में सक्षम एक अरब लोगों को एकजुट करना है।
मिशन लाइफ की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 अक्टूबर 2022 को स्टैचू ऑफ यूनिटी से की ।
Mission LiFE का लक्ष्य स्थिरता के प्रति हमारे सामूहिक दृष्टिकोण को बदलने के लिए तीन-आयामी रणनीति का पालन करना है।
- सबसे पहले लोगों को अपने दैनिक जीवन में सरल लेकिन प्रभावी पर्यावरण-अनुकूल कार्यों का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करना (मांग)
- उद्योगों और बाजारों को बदलती मांग (आपूर्ति) के लिए तेजी से प्रतिक्रिया करने में सक्षम बनाना
- स्थायी उपभोग और उत्पादन (नीति) दोनों का समर्थन करने के लिए सरकार और औद्योगिक नीति को प्रभावित करना है।
Mission LiFE क्या है?
मिशन लाइफ (Mission LiFE) जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को लोकतांत्रिक बनाती है जिसमें हर कोई योगदान दे सकता है । मिशन लाइफ हम सभी को पर्यावरण का न्यासी बनाता है । मिशन लाइफ पृथ्वी के लोगों को गृह समर्थक लोगों के रूप में एकजुट करता है।
मिशन लाइफ भारतीय लोगों, समुदायों, और संस्थानों को अपने दैनिक जीवन में जलवायु के अनुकूल सक्रिय होने के लिए प्रेरित करता है। ऐसे 75 कार्यों को ऊर्जा की बचत, पानी की बचत, एकल उपयोग प्लास्टिक को कम करने, स्थाई खाद्य प्रणाली को अपनाने, अपशिष्ट को कम करने, स्वस्थ और ई कचरे को कम करने के तहत वर्गीकृत किया गया है।
इन बातों को व्यवहार में लाना आसान है और इनसे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की भी संभावना है।
कम करना (Reduce), पुनः उपयोग(Reuse) and पुनर्चक्रण (Recycle) औरCirculer Economy हजारों सालों से भारतीयों की जीवन शैली का हिस्सा रही है।
चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) क्या है?
Mission Life के अंतर्गत चक्रीय अर्थव्यवस्था ऐसी व्यवस्था होती है जिसमें उत्पादों को ऐसे बनाया जाता है कि उनका पुनर्चक्रण (Recycle) और पुनः उपयोग पुनः उपयोग (Reuse) संभव हो सके अर्थात इसके अंतर्गत लगभग सभी उत्पादों का पुनः उत्पादन (Re-Manufacturing), पुनः उपयोग और कच्चे माल (Raw Material) में पुनः नवीनीकरण या ऊर्जा स्रोत (Energy Source) के रूप में उपयोग किया जा सकता है ।
अन्य तथ्य
- भारत जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत में वार्षिक प्रति व्यक्ति कार्बन फुटप्रिंट केवल 1.5 टन है, जबकि विश्व का औसत 4 टन प्रति वर्ष है। फिर भी, भारत जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए सबसे आगे काम कर रहा है।
- उज्ज्वला योजना में हर जिले में 75 अमृत सरोवर और वेस्ट टू वेल्थ पर अभूतपूर्व जोर है। आज भारत के पास दुनिया में अक्षय ऊर्जा की चौथी सबसे बड़ी क्षमता है।
- आज हम पवन ऊर्जा में चौथे और सौर ऊर्जा में पांचवें 5th स्थान पर हैं।
- पिछले 7-8 वर्षों में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में लगभग 290 प्रतिशत(%) की वृद्धि हुई है।
- हमने समय सीमा से 9 साल पहले गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से 40 प्रतिशत बिजली क्षमता हासिल करने का लक्ष्य भी हासिल कर लिया है।
- हमने पेट्रोल में 10 प्रतिशत(%) एथनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य भी हासिल कर लिया था और वह भी समय सीमा से 5 महीने पहले।
- राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के माध्यम से भारत पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोत की ओर बढ़ा है। इससे भारत और दुनिया के कई देशों को नेट जीरो का अपना लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।
- भारत इस बात का एक प्रमुख उदाहरण बन गया है कि कैसे प्रगति और प्रकृति साथ-साथ चल सकते हैं। अब जबकि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन गया है, हमारा वन क्षेत्र भी बढ़ रहा है और वन्य जीवों की संख्या भी बढ़ रही है।
- One Sun, ONE World, One Grid के द्वारा भारत अब ऐसे लक्ष्यों के प्रति अपने संकल्प को मजबूत करते हुए दुनिया के साथ अपनी साझेदारी को और भी बढ़ाना चाहता है।
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