लोहड़ी का महत्त्व
लोहड़ी एक त्योहार पौष माह में फसल की कटाई या बुवाई के समय मनाया जाने वाला विशेष त्यौहार है। जो मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाने वाला त्यौहार है जिसके अंतर्गत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश ,हिमाचल, दिल्ली, राजस्थान आदि क्षेत्रों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
लोहड़ी का पर्व
इस त्यौहार की शुरुआत शरद ऋतु में होती है । ऐसा माना जाता है कि इस त्यौहार के बाद सूर्य देव उत्तरायण दिशा में गतिमान होते हैं और सर्दी में कमी होने लगती है।
प्राचीन मान्यता
ऐसा माना जाता है कि मुगल राजा अकबर के समय दुल्ला भट्टी नामक एक लुटेरा पंजाब में था जो धनी लोगों को लूटता था और बाजार में बेची जाने वाली गरीब लड़कियों को बचाने के साथ ही उनकी शादी भी करवाता था ।
लोहड़ी मनाने का तरीका
लोहड़ी (lohri) के इस पावन पर्व पर आस पास से कुछ लकड़ी लाइ जाती हैं या लकड़िया खरीद कर लाई जाती हैं और शाम को चौराहों या घरों के आसपास खुली जगह पर जलाई जाती हैं
इस अग्नि में तिल गुड़ और मक्का का प्रयोग चढ़ावे के रूप में किया जाता है
जलती हुई अग्नि के चारों ओर लोक नृत्य संगीत करते हुए वृत्ताकार पथ में घूमते हैं महिलाएं गिद्दा नृत्य करती हैं और पुरुष ढोल की थाप पर भांगड़ा का प्रदर्शन करते हैं।
इस त्यौहार में लोग गुड़ एवं तिल से बने हुए खाद्य पदार्थ दान करते हैं और एक दूसरे के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।
घर की नई बहू के लिए विशेष त्यौहार लोहड़ी
पंजाब में लोहड़ी के त्यौहार पर एक घर में एक खास उत्सव होता है जिसमें यदि घर में नई शादी यह बच्चों का जन्म हुआ होता है तो घर की बहू को विशेष तौर पर बधाई दी जाती है । लोहड़ी के इस पावन पर्व पर सभी विवाहित बहन बेटियों को घर पर आमंत्रित किया जाता है और अनेक उपहार दिए जाते हैं।
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